उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 ई. को काशी के निकट लमही नामक गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम अजायबराय तथा माता का नाम आनंदी देवी था। आपका जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा। आपने घर पर ही पढ़कर इण्टरमीडियट एवं बी.ए. की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। आप पहले नवाबराय के नाम से उर्दू में लिखते थे, बाद में प्रेमचंद के नाम से हिन्दी में लिखने लगे। आपने हिन्दी में लगभग 300 कहानियाँ लिखी हैं जो ‘मानसरोवर’ के आठ भागों में संकलित हैं। आपकी कहानियाँ आदर्शोन्मुख यथार्थवादी हैं। आपकी शैली में सरलता, सजीवता एवं प्रभावोत्पादकता है। मुहावरेदार भाषा का प्रयोग आपकी विशेषता है। 8 अक्तूबर 1936 ई. को आपका स्वर्गवास हुआ।
- उपन्यास : ‘सेवासदन’, ‘प्रेमाश्रम’, ‘रंगभूमि’, ‘निर्मला’, ‘कर्मभूमि’, ‘गबन’, ‘गोदान’ आदि।
- नाटक : ‘कर्बला’, ‘संग्राम’, ‘प्रेम की वेदी’ आदि।
- निबंध : ‘साहित्य का उद्देश्य’, ‘स्वराज्य के फ़ायदे’, ‘कुछ विचार’ आदि।
पाठ का आशय : ‘सुजान भगत’ कहानी का परिवेश ग्राम्य जीवन है। किसान सुजान के सुजान भगत बनने के बाद गाँव में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ जाती है लेकिन अपने ही घर में उसका अनादर होता है। पुत्र और पत्नी द्वारा उपेक्षित भगत अत्यधिक परिश्रम कर ऐसी फसल उगाता है कि बखारी में अनाज रखने को जगह नहीं मिलती। इस तरह वह अपना खोया हुआ अधिकार फिर प्राप्त करता है।
कठिन परिश्रम करने से ही मानव को धन-दौलत, मान-मर्यादा आदि प्राप्त होती है – यही इस कहानी का संदेश है।