सामाजिक संरचना की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—
⦁ अमूर्त अवधारणा–सामाजिक संरचना कोई वस्तु या व्यक्तियों का संगठन नहीं है। यह तो मात्र प्रतिमानों, संस्थाओं, नियमों, कार्यप्रणालियों व पारस्परिक संबंधों की एक क्रमबद्धता है। अतः यह एक अमूर्त धारणा है।
⦁ समाज के बाह्य ढाँचे का बोध-सामाजिक संरचना से समाज के बाह्य स्वरूप मात्र का बोध होता है। यह इकाइयों की क्रमबद्धता से संबंधित है, न कि इनके कार्यों से।