संचालन का स्वरूप समझने के लिए इनके लक्षण को समझना होगा जो कि निम्नलिखित है :
संचालन का अर्थ पहले समझना होगा, संचालन अर्थात दूसरो के पास से कार्य लेने की कृपा ।
लक्षण :
(1) सर्वव्यापी प्रवृत्ति : संचालन यह एक सर्वव्यापी प्रवृत्ति है । जहाँ पर मानवीय समूह में उद्देश्य प्राप्ति हेतु काम करते हैं । वहाँ सभी में संचालन की आवश्यकता पड़ती है । संचालन यह, औद्योगिक क्षेत्रों के साथ साथ सामाजिक, धार्मिक, कृषि, सेनाएँ, शैक्षणिक, आदि क्षेत्रो में भी संचालन की प्रवृत्ति देखने को मिलती है । संचालन प्रत्येक क्षेत्र के सभी संस्थाओं में तथा संस्था के सभी विभागों में दिखाई देता है ।
(2) उद्देश्यलक्षी प्रवृत्ति : संचालन यह एक साधन है, उपाय नहीं । प्रत्येक इकाई की स्थापना अमुक निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु की जाती है । इन उद्देश्यों को कार्यक्षम रूप से तथा मितव्ययी रूप से सिद्ध करने के लिए संचालन आवश्यक होता है ।
(3) सामुहिक प्रवृत्ति : संचालन दो या दो से अधिक व्यक्तियों के सामुहिक प्रवृत्ति है । जहाँ पर दो या दो से अधिक व्यक्ति पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को सिद्ध करने के लिए प्रवृत्ति करते रहते है इसलिए वहाँ संचालन आवश्यक होता है ।
(4) निरन्तर चलनेवाली प्रवृत्ति : संचालन यह एक निरन्तर चलनेवाली प्रवृत्ति कहलाती है । यह एक बार आरम्भ करने के पश्चात् उन्हें रोका नहीं जा सकता । संचालन उद्देश्यलक्षी होता है, परन्तु उद्देश्य प्राप्ति के पश्चात् इनकी प्रक्रिया रुकती नहीं । नया उद्देश्य तथा नये लक्ष्यांको को संचालन द्वारा ही प्रस्थापित होते हैं । इस प्रकार संचालन में लक्ष्य निर्धारण, लक्ष्य प्राप्ति और पुन: लक्ष्य निर्धारण का चक्र निरन्तर चलता रहता है ।
(5) मानवीय प्रवृत्ति : संचालन यह सर्वव्यापी होने के बावजूद भी मानव विशेष से सम्बन्धी प्रवृत्तियों तक सीमित है । संचालन में मानव का स्थान महत्त्व का होता है । मानव के बाद उत्पादन के अन्य साधन निरर्थक बनते है । संचालन मानव के लिए होता है, मानव द्वारा होता है । संचालन में मानव केन्द्र स्थान पर होता है । जिससे यह मानव के लिए, मानव द्वारा होने वाली मानवीय प्रवृत्ति है ।
(6) निर्णय प्रक्रिया : संचालन का एक कार्य होता है निर्णय प्रक्रिया । संचालक द्वारा संचालन कार्य के दौरान सतत निर्णय लेने पड़ते है । निर्णय लिये बिना कोई भी कार्य नहीं हो सकता । निर्णय लेने के पश्चात् संचालकों द्वारा इसका अमल हो सके इसके बारे में कार्यवाही करनी पड़ती है । इस तरह, निर्णय प्रक्रिया यह संचालन का कार्य है । इस सम्बन्ध में रोस मूरे लिखते हैं कि ‘संचालन का आशय होता है निर्णय लेना । (Management means Decision Making)
(7) विज्ञान, कला और व्यवसाय (Science, Arts & Profession) : विज्ञान की तरह संचालन में भी निश्चित नियम व सिद्धान्त होते है । जिससे कई लेखक संचालन को एक विज्ञान के रूप में पहचानते है । संचालन में मानवतत्व पूर्ण होने से उनके पास से काम लेने के लिए व्यक्तिगत योग्यता, बुद्धि, चतुराइ, सूझबूझ आदि की आवश्यकता पड़ती है जिन्हें काम लेने की ‘कला’ के रूप में जान सकते है ।
वर्तमान समय में इकाई के संचालन का कार्य प्रशिक्षण प्राप्त निष्णांत संचालक वर्ग को सौंपा जा रहा है । आधुनिक समय में वकील, डॉक्टर, चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट की तरह संचालकों ने भी व्यवसायी का स्वरूप धारण किया है । इस तरह स्पष्ट होता है कि संचालन यह. व्यवसाय है ।