राष्ट्रीय स्वतंत्रता से आशय – जिस प्रकार प्रत्येक मनुष्य को स्वतंत्र रहने का अधिकार है उसी प्रकार प्रत्येक राष्ट्र को अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने का पूर्ण अधिकार है। इसी अधिकार को राष्ट्रीय स्वतंत्रता कहते हैं। भाषा, धर्म, संस्कृति, नस्ल, ऐतिहासिक परम्परा आदि की एकता के कारण जिन लोगों में एकानुभूति हो, उन्हें हम एक राष्ट्रीयता कहते हैं। ऐसी प्रत्येक राष्ट्रीयता को अधिकार है कि वह अपने पृथक व स्वतंत्र राज्य का निर्माण करे। वह किसी अन्य राज्य के नियंत्रण में न हो क्योंकि राष्ट्रीय स्वतंत्रता की स्थिति में ही वहाँ के निवासी अपनी विशिष्ट पहचान को बनाए रख सकते हैं।
और प्रगति कर सकते हैं। प्रत्येक देश स्वतंत्र राज्य चाहता है क्योंकि स्वतंत्रता के बिना उसका विकास सम्भव नहीं है। यदि कोई देश किसी ताकतवर साम्राज्यवादी देश के द्वारा पराधीन हो जाता है तो वह देश अपनी स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयत्न करता रहता है। भारत ने अपनी खोई हुई स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए तुर्क, मुगल और ब्रिटिश काल में जो अद्वितीय बलिदान किए, वे हमारे इतिहास की अमर गाथाएँ हैं। राष्ट्रीय स्वंतत्रता का सबसे बड़ा शत्रु उपनिवेशवाद है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता के बिना व्यक्ति की अन्य स्वतंत्रताएँ गौण हैं।